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चिंतन और चिंता
चिंतन वह जो आपको कोस्चन मार्क को हटा दे, चिंता वह जो कोस्चन मार्क में डाल दे
चिंतन वह जिससे कुछ रास्ता निकले यानि यूजफुल और चिंता जिसका कोई यूज नहीं।
एक वह जो शांत करे एंजाइटी को ख़त्म करे , और एक जो गुस्सा , परेशानी को भड़ा दे।
एक वह है जो आपके आंतरिक विचारों पर काम करे और एक है जो बाहरी सोच तक सीमित होने से आपके आंतरिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं लाता है।
एक जो आपके दिमाग पर काम करता है और एक आपके दिमाग से काम करता है।
एक वह जिसकी सफलता आपके लिए जीवन सरल बनाता है और एक जिसकी सफलता आपको हर प्रकार से उलझाती है।
अब दोनों को साथ - साथ समझते हैं -
* चिंता हमेशा भविष्य के बारे में होती है। कुछ हमारी इच्छाएं हैं या मोह ( अटैचमेंट ) हैं जिसको न पाने या खोने का विचार हमें चिंता में ले जाता है।
जैसे - मेरा व्यापार ख़त्म हो गया तो , हमारी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया तो, मेरा इंटरव्यू सही नहीं हुआ तो -
* अब यहां कुछ ऐसी स्थिति होती हैं - जिसमें हम कुछ कर सकते हैं और कुछ जिसमें हम कुछ नहीं कर सकते।
१- जैसे हमारा कोई व्यापार है उसको सुधारने की कोशिश कर सकते हैं।
२- किसी की मर्त्यु की चिंता - उस विषय में हम कुछ नहीं कर सकते।
१ - जिसके लिए हम कुछ कर सकते हैं - उसके लिए हम सोच रहे हैं यह क्या अब क्या होगा हम क्या करेंगे मतलब - चिंता
लेकिन जब हम परिस्थिति से अपने को थोड़ा भिन्न करते हैं और अपने से कहें की अच्छा ये विषय है इसके विषय में हम क्या कर सकते हैं पूरा - पूरा समझें कि इस स्थिति में हम क्या कर सकते हैं- यह चिंतन अगर हम ढंग से करेंगे तो हम वह रास्ता निकाल पाएंगे जो हमारे लिए सही होगा।
अगर चिंता करते रहे तो हम कभी सही निर्णय नहीं ले पाएंगे जबकि चिंतन आपको सही स्थिति तक ले जायेगा।
२ - मृत्यु - यह वह विषय है जो सनातन सत्य है और जिस विषय में आप कुछ भी कर नहीं सकते।
इस विषय में केवल हमारा अंतर्ज्ञान या हमारा इस विषय पर समझ ही हमें शांति दिला सकता है।
किसी व्यक्ति के जाने से जो कुछ हमसे अलग हुआ उसको हम मिस तो करते हैं लेकिन समझ हमें अंदर तक गहराई से शान्ति में ले जाती है जो वास्तविकता में है , अभी भी है बस उसे समझ तक ले जाना है, शाब्दिक ज्ञान इकठ्ठा करने बात नहीं बनेगी।
जैसे अगर हम अपने को समझाएं कि यह ईश्वर की मर्जी है शायद मेरे कुछ कर्म हैं या कुछ भी तथाकथित बातें जो हमने सुन रखी हैं - शायद वह सुनने में पॉजिटिव लगे जैसे लोग आँख बंद करके मैडिटेशन करते हैं और सोचतें हैं कि ये विचार को न आने दें , आत्मा शांत हो रही है , आप एनलाइटेंड हो रहे हैं सभी कुछ पेन किलर है जैसे जिस चीज को भी हम रोकते हैं वह ज्यादा दिमाग में घूमती है, इसी तरह किसी दोस्त के साथ समय बिताते हैं , कोई पसंद का काम करना ये सभी टेम्परेरी सोल्यूशन हैं।
दुनिया में कुछ भी नहीं मरता है जैसे जैसे बर्फ से पानी - पानी से भाप - भाप से पानी - पानी से बर्फ।
जैसे ये शरीर ७०% पानी से बना है , वनस्पति ये सब से तो हम बने हैं मरते हैं अगर बॉडी को छोड़ दें तो अनंत अन्य शरीर बन जाते हैं , जला दें तो मिटटी बन जाते हैं , और फिर उससे बनस्पति आदि सब कुछ फिर बन जाता है।
जैसे हम पहाड़ पर जाएँ वहां अकेले हैं तो मन लगाने को एक पुतला बनाया और सोचें कि यही मेरा लाइफपार्टनर है और उससे इतना प्यार हो जाये कि इसके बिना मेरी जिंदगी ही नहीं ,अब आप बताएं क्या यह व्यक्ति इस चिंता से बाहर आ सकता है। यह झूट की दुनिया किसने बनाई। अब मजेदार बात यह है हम खुद उसी बर्फ के बने हैं और अब बताएं दो बर्फ के पुतले आपस में एक दूसरे को खोने की चिंता में रो रहे हैं और उससे जो गर्म सांसें और आंसूं निकल रहे हैं उससे पिघले जा रहे हैं। दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं कि वह खो सके अगर ये बात पकड़ में आ जाये तो बात बन जाएगी वर्ना तो यह भी कोरा ज्ञान ही होगा।
👉क्या ये ब्लॉग किसी भी प्रकार से आपके लिए सहायक है या आपके सुझाव इस विषय में क्या हैं ... और आप आगे किन विषयों पर ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं ... कृपया अपने महत्वपूर्ण सुझाव दीजिये 🙏
books are suggested-


Great
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